एक कंपनी का कर्ज देश के कुल किसानों के कर्ज के बराबर, क्यों हुई इतनी मेहरबानी

राज्यसभा में आज जनता दल युनाइटेड के एक सदस्य ने देश में कार्पोरेट घरानों पर सरकारी के बैंकों का 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज होने का दावा किया और खास तौर पर अदाणी समूह का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कंपनी पर ‘‘अकल्पनीय कृपा’’ की गई तथा उसका कर्ज 72,000 करोड़ रूपये है. वर्मा ने चिंता जताते हुए कहा ‘‘मैं सरकार से जवाब चाहता हूं कि क्या उसे इसकी जानकारी है या नहीं. अगर उसे इसकी जानकारी है तो वह क्या कर रही है. एक कंपनी पर इतना कर्ज बकाया है जितना देश में कुल किसानों पर बकाया है.
शून्यकाल में जद(यू) के पवन वर्मा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि क्या सरकारी क्षेत्र के बैंकों को ऐसे लोगों को कर्ज देने के लिए प्रभावित किया जा रहा है जो उनके कर्ज का भुगतान नहीं कर सकते.
वर्मा ने कहा कि देश में कारपोरेट घरानों पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पांच लाख करोड़ रूपये का कर्ज है जिनमें से 1.4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज 5 कंपनियों पर है. 5 कंपनियों में लैंको, जीवीके, सुजलॉन एनर्जी, हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी और अदाणी ग्रुप एंड अदाणी पावर शामिल हैं. उन्होंने खबरों का हवाला देते हुए कहा कि अदाणी समूह कहलाने वाली कंपनी पर करीब 72,000 करोड़ रुपये का अल्पकालिक और दीर्घकालिक कर्ज है जो कि देश में सभी किसानों के कुल कर्ज के बराबर है. उन्होंने कहा कि कल सदन में कहा गया था कि किसानों पर 72,000 करोड़ रूपये का फसल कर्ज बकाया है जिसका उन्हें भुगतान करना है।


जदयू सदस्य ने कहा ‘‘मुझे नहीं पता कि सरकार का इस कारोबारी घराने से क्या संबंध है. मैं यह भी नहीं जानता कि क्या वह एक दूसरे को जानते हैं लेकिन प्रधानमंत्री के प्रत्येक विदेशी दौरे में इस समूह के स्वामी गौतम अदाणी उनके साथ नजर आते हैं, चाहे वह चीन दौरा हो, या अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप या जापान का दौरा हो. वर्मा ने कहा कि कंपनी पर ‘‘अकल्पनीय कृपा’’ हुई है. गुजरात में उच्च न्यायालय की फटकार के बावजूद उसके सेज को मंजूरी दी गई. उप सभापति पी जे कुरियन ने वर्मा को आरोप लगाने पर चेताया. इस पर वर्मा ने कहा ‘‘मैं तथ्यपरक जानकारी दे रहा हूं. उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है. यह राज्य सरकार पर छोड़ा गया था. तत्कालीन यूपीए सरकार ने इसे नामंजूर कर दिया था और जब यह सरकार सत्ता में आई तो उसने इसे मंजूरी दे दी. वर्मा ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि कंपनी इस राशि को अदा कर पाएगी या नहीं. पिछले 2-3 साल में कंपनी का मुनाफा 85 फीसदी बढ़ा है लेकिन आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तरोत्तर वित्तीय वर्ष में कंपनी के कर्ज पर भुगतान किए जाने वाले ब्याज में नाटकीय तरीके से कमी आई है.


जदयू के सदस्य वर्मा ने दावा किया कि विजय माल्या के मामले को जानते हुए भी भारतीय स्टेट बैंक ने इस समूह को इस सरकार के सत्ता में आने के बाद करोड़ों डालर का कर्ज दिया है.

एबीपी न्यूज से साभार

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