सुख भरे दिन बीते रे भईय्या …. दुःख भरे दिन आयो रे…

लेखक :- कमल शुक्ला सम्पादक भूमकाल समाचार

अच्छे दिन की अब उम्मीद कम ही रखिये , राज्य सभा में भी बहुमत आने के बाद पूरा का पूरा संविधान ये लोग बदल देंगे | देश में अब तानाशाही ही रहेगी , कांग्रेस समाप्ति की ओर है | अन्य कोई पार्टी नहीं है जो जनता के लिए लड़ रही हो , सब कुर्सी के लिए किसी भी सौदे में शामिल हो सकते हैं | बामपंथी पार्टियाँ गलती पे गलती कर बस आत्म चिंतन में व्यस्त हैं |

आने वाले दिनों में अगर यह सरकार चुनाव करायेगी भी तो विधायक और सांसद किसी विचारधारा या पार्टी के प्रति समर्पित नहीं बल्कि किसी ना किसी कारपोरेट घराने का दलाल ही बनेगा | देश की जनता को मुर्ख बनाए रखने के लिए पूरे देश की मुख्य धारा की पत्रकारिता इनका दरबारी बन ही गया है | वे मुर्ख अंध भक्त पैदा करते रहेंगे | देश की युव वर्ग को बरगलाए रखने के लिए ” जय श्री राम ” पाकिस्तान मुर्दाबाद , घर वापसी , चीन के खिलाफ नारा , पाकिस्तान के खिलाफ माहौल में ये उलझाये रखेंगे | उन्हें अपने और देश के भविष्य के बारे में ना सोचने देंगे और ना सवाल पूछने देंगे |

हालाकि अभी भी स्थिति कुछ ऐसी ही है | जल जंगल और जमीन और अपने हक़ के लिए सड़क में शान्ति पूर्ण ढंग से आन्दोलन लग-भग प्रतिबंधित सा ही हो गया है | उन पर लाठियां बरसाई जा रही है | आदिवासी , दलित , गरीब के हक़ की बात करने वाला को नक्सली या आतंकी ठहराया जा रहा हैं | जनता की सुरक्षा के नामपर जनता के पैसे से तैनात जवानों को बड़े सेठों और कार्पोरेट की सुरक्षा में उनके नौकर की तरह ईस्तेमाल कर उनकी जान शतरंज के मोहरे की तरह जनयुद्ध के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है |

तब शायद मै ना रहूँ , आप भी ना रहें पर बहुत भुगतने के बाद जनता ही कुछ करेगी | हथियार बंद क्रांति के अलावा आगे कुछ रास्ता दिखाई नहीं दे रहा | मुझे यह मानने में कोई शर्म और डर नहीं है कि आज जनता की लड़ाई केवल सीपीआई ( माओ वादी ) ही लड़ रही है |इस युद्ध में दोनों ही ओर से निर्दोषों की ह्त्या और प्रताड़ना घोर निंदनीय है , हर मारे जाने वाले ग्रामीण , आदिवासी और जवान सभी गरीब वर्ग के ही हैं | शतरंज की बिसात में ये सभी प्यादे के रूप में मारे जा रहें हैं | वैसे मै किसी भी राजनीतिक पार्टी या संगठन का मेंबर नहीं हूँ , केवल पत्रकारिता ही मेरा धर्म है और निष्पक्ष नहीं बल्कि जनपक्षीय हूँ |

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