आदिवासियों के देव नंदराज पहाड़ को भाजपा सरकार के समय फर्जी ग्रामसभा कर अडानी को सौपने में अब कांग्रेस भी हुई साथ

जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा , षड्यंत्र, तोड़-फोड़ का खेल शुरू, अडानी , केंद्र व प्रदेश सरकार के बीच ताल- मेल का संदेह

कमल शुक्ला

दंतेवाड़ा । भाजपा सरकार द्वारा फर्जी तरीके से खुदाई के लिए सौंप दिए बैलाडीला के नंदराज पर्वत को बचाने के लिए आंदोलन करने वाले आदिवासियों के साथ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने सीधा छल करना शुरू कर दिया है। तत्कालीन समय मे हुए फर्जी ग्राम को सही ठहराने के लिए जांच के नाम पर औपचारिकता , षड्यंत्र , तोड़-फोड़ ,दमन का खेल शुरू कर दिया है , वहीं अडानी की तरफ से खुले आम इसी सरकार के अधिकारी मीडिया और आंदोलन कारियों को मैनेज करने में जुट गए हैं ।

ज्ञात हो कि किरंदुल-बैलाडीला के आदिवासियों के ईस्ट देव नंदराज पर्वत को उद्योगपतियो से बचाये रखने के लिए विगत 07 जून को दंतेवाड़ा, बीजापुर व सुकमा तीनों जिला के गांवों से जुड़े इस पर्वत से लगे कई गांव के ग्रामीणों ने सयुंक्त पंचायत संघर्ष समिति के बैनर तले एनएमडीसी प्रशासनिक भवन चेक पोस्ट के समीप अनिश्चित कालीन हड़ताल कर बैलाडीला के डिपॉजिट 13 नंबर माइंस को ग्राम पंचायत हिरोली की फर्जी ग्राम सभा कर अनुमति देने का विरोध किया था ।

ऐतिहासिक रूप से इस आंदोलन ने तब पूरे देश का ध्यान खींचा था जब पूरे एक सप्ताह तक एनएमडीसी में काम ठप्प होने से अरबों का नुकसान हुआ था । तब इस आंदोलन को एनएमडीसी के ट्रेडयूनियनों का भी सपोर्ट मिला था । हजारों की संख्या में बच्चों, महिलाओं सहित आदिवासियों ने गेट को जाम कर नाच गानों के साथ शांति पूर्ण तरीके से विरोध कर प्रदेश ही नही , दिल्ली को भी हिला दिया था ।

तब छत्तीसगढ़ सरकार ने इनसे वादा किया था कि 15 दिन के भीतर फर्जी ग्रामसभा की जांच होगी और हरे भरे पहाड़ की अवैध कटाई व आग लगाए जाने के लिए भी जांच कमेटी बनाई गई थी । इसी वादे के तहत 24 जून को ग्राम हिरोली में जांच व बयान के लिए एसडीएम को दस बजे पहुंचना था । पर हिरोली के ग्रामीण व आंदोलन कारी डटे रहे ,काफी विलम्ब से दोपहर में एसडीएम पहुंचे , पर जिस ग्राम पंचायत सचिव के कार्यकाल में कथित फर्जी ग्रामसभा हुई थी वह अनुपस्थित था , इस बात को लेकर ग्रामीण आक्रोशित हो गए ।

उपस्थित पुलिस अधीक्षक और एसडीएम ने बताया कि सचिव की जान को खतरा होने की वजह से नही लाया गया , जबकि ग्रामीणों का कहना था कि सचिव तो पहले भी ग्राम में आता जाता रहा तो उसे अब गांव वालों से क्यों खतरा हो जाएगा । ग्रामीणों व प्रशासन के बीच बात चल ही रही थी कि अचानक अधिकारियों ने जांच की कार्यवाही बंद कर दी ।

आंदोलन के नेतृत्व करने वालों में से एक मंगल कुंजाम ने कहा कि सचिव को प्रशासन जानबूझकर छिपा कर रखना चाहता हैं। राजकुमार ओवमी ने कहा कि पूरा प्रशासन जानता हैं कि सारे कागजात फर्जी बनाये गये हैं , तो इस अनावश्यक जांच की तो जरूरत ही नही है , सीधे ईएमयू ही रद्द होने चाहिये ।

आदिवासी नेता मनीष कुंजाम ने कहा कि सुरक्षा की कोई समस्या नहीं हैं । यह सब अधिकारी यहां पहुंच सकते है तो सचिव को क्यों नहीं लाया गया । वहीं आदिवासी नेत्री सोनी सोढ़ी ने कहा कि बिना सचिव के जांच कैसे सम्भव हैं ,उनका कहना था कि पंचायत सचिव का बयान गांव में ही सबके सामने होना चाहिए साथ ही चूंकि वही उन सारे फर्जी लोगों को पहचानता है जिन्होंने फर्जी ग्राम सभा की इसलिए भी उसकी उपस्थिति जरूरी थी । इधर जांच अधिकारी ने जांच स्थगित करने व अगली तिथि के बारे में कुछ भी बोलने को इनकार कर दिया, और पत्रकारों को बयान देने के लिये दिन भर भटकाते रहे ।

दंतेवाड़ा के एक पत्रकार का कहना है कि जांच शुरू होने से पहले ही स्थानीय प्रशासन ने पहले ही स्थगित करने के लिए बहाना ढूंढ लिया था , पहले उन्होंने हिरौली पहुंचने के एक मार्ग में उन गड्ढों को ठीक उसी दिन पाटने का बनाया जो कि कई महीनों पहले माओवादियों ने किए थे , जबकि यह सप्ताह भर पहले भी किया जा सकता था ।*

नंदाराज पहाड़ी बचाने के आंदोलन से जुड़े एक नेता , कर्मचारी यूनियन के एक पदाधिकारी और एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि आंदोलन को तोड़ने , खबरों को दबाने और अडानी का साथ देने के लिए मैनेज करने का खेल शुरू हो गया है और इसके लिए प्रशासन के ही एक बड़े अधिकारी नेता, पत्रकार और ग्रामीणों को प्रलोभन देने में लगे हैं । *

एनएमडीसी के एक अधिकारी के अनुसार इधर फर्जी ग्रामसभा और अवैध कटाई की जांच चल रही है , जबकि नंदाराज पहाड़ पर रोज सैकड़ों की संख्या में पेड़ जलाए और काटे जा रहे हैं । वहीं दंतेवाड़ा के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी उन मीडिया कर्मियों का लिस्ट बनाने के लिए उनसे संपर्क कर रहें हैं जिन्हें मैनेज किया जाना है ।*

नाटकीय रूप से फर्जी ग्राम सभा के दिन पूरे गांव को घेर कर खड़े हजारों पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के बावजूद गांव की सीमा में विस्फोट हुआ भी भी एक संशय खड़ा करता है कि सरकार की नीयत क्या है ? वही पुलिस अधीक्षक जो कुछ दिन पहले जांच की मांग करने वाले आदिवासी आंदोलन को माओवादी प्रेरित बता रहा था , अब कह रहे कि जांच रोकने के लिए माओवादियों ने विस्फोट किया । *

कांग्रेस के एक विधायक और वरिष्ठ नेता ने दावे से बताया कि बस्तर ही नही पूरे छत्तीसगढ़ में अडानी के सारे प्रोजेक्ट को लेकर सौदा सरकार बनने के पहले हो गयी थी , विधान सभा और लोकसभा दोनो चुनाव में कांग्रेस अडानी के एहसान के तले दबी हुई थी , वहीं उन्होंने दावा किया कि 13 नम्बर पहाड़ी के आंदोलन के तुरन्त बाद भूपेश बघेल की मोदी से मुलाकात में भी इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आदिवासियों के हित की कीमत पर कोई बड़ा समझौता हुआ है ।*

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