प्रदेश के महाधिवक्ता कनक तिवारी को बिना कारण बताए निकाला गया , अतिरिक्त महा अधिवक्ता सतीशचन्द्र वर्मा को बनाया गया अब महाधिवक्ता

महीने भर से इस्तीफे के अफवाह व ड्रामा के बाद कल मुख्यमंत्री और कानून मंत्री ने मीडिया के सामने स्वीकारा

कनक तिवारी ने इस प्रक्रिया को बताया संवैधानिक पद का अपमान

रायपुर । अंततः मात्र 5 महीने के कार्यकाल के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने 31 मई को महाधिवक्ता कनक तिवारी को उनके स्तीफा नही दिए जाने के बावजूद हटाकर उनकी जगह अतिरिक्त महा अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को नियुक्त कर दिया है । इस आशय के आदेश आज राज्यपाल कार्यालय से जारी भी हो गए हैं ।

महीने भर से कांग्रेस और सरकार के भीतर से ही महाधिवक्ता के संवैधानिक पद को लेकर स्तीफा की अफवाह उड़ाई जाती रही , पिछले दो दिन से तो हद ही हो गया । कानून मंत्री खुले आम कहते रहे कि कनक तिवारी जी ने खुद ही काम करने से मना कर दिया , मुख्यमंत्री सफाई देते रहे कि स्वास्थ्य गत कारणों से कनक तिवारी जी का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया गया । जबकि कनक तिवारी जी सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया में घोषणा करते रहे कि वे स्वस्थ हैं और उन्होंने त्यागपत्र दिया ही नही तो कैसे स्वीकार कर लिया गया ?

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ऐसा लग तो रहा है कि कनक तिवारी जी और सरकार के बीच किसी बात को लेकर महीने भर से कोई विवाद था , कई दिनों से मनाया जा रहा था कनक तिवारी को कि वे स्तीफा दें । पर अंत उचित ढंग से नही हुआ , वे प्रदेश के न केवल सबसे विद्वान वरिष्ठ वकील और राजनीति व साहित्य के ज्ञाताओं में से एक हैं , बल्कि कांग्रेस के वैचारिक नेतृत्व कर्ता होने के साथ तार्किक रूप से अपनी बात रखने के लिए भी जाने जाते हैं । अगर उन्होंने किसी बात पर सरकार को सलाह दी होगी , या उनके मन मुताबिक कोई काम करने से इनकार किया होगा तो निश्चित रूप से यह कांग्रेस के भले के लिए और न्यायिक दृष्टि से अपमान जनक होने की वजह से ही हुआ होगा । इस बात का कोई न कोई समाधान मुख्यमंत्री और उनके राजनीतिक सलाहकारों को निकालना ही था ।

प्रदेश सरकार के इस निर्णय को लेकर कांग्रेस के कई नेता और मंत्री भी चकित हैं । एक महिला नेता ने सोशल मीडिया में लिखा है कि सम्भवतः कल कनक तिवारी जी मुख्यमंत्री से मिलेंगे , तभी कुछ पता चल पाएगा । इस मामले को लेकर यह तो स्पष्ट है कि यह कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति और खींचतान का नतीजा है । इस मामले नई सरकार की अपरिपक्वता साफ दिख रही है इससे सरकार की किरकिरी तो होगी ही छवि भी खराब होगी । ज्ञात हो कि सतीश चन्द्र वर्मा पिछली सरकार के समय वर्तमान मुख्य मंत्री भूपेश बघेल और उनके राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के खिलाफ बनाये गए कई आपराधिक मामलों में इनकी ओर से न्यायालय में पैरवी कर चुके हैं ।

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