सचिव की लापरवाही, भुगत रहे ग्रामीण


गांव की समस्या की लड़ाई लड़ने पर ठहरा दिया नक्सली समर्थक , तीन साल तक छोड़ना पड़ा गांव

सुकमा । जिस आशा और उम्मीद को लेकर दरभा घाट के नीचे के ग्यारह पंचायत के रहवासियों ने अथक प्रयासों से यह क्षेत्र सुकमा जिले में समायोजित करवाया वह पूरा होते नही दिख रहा । इन पंचायतों की समस्याएं कम होने का नाम नही ले रही है । दो दो जिलो चक्कर मे सचिवों के द्वारा ग्रामीणों को भृमित किया जा रहा है ।

इसी कड़ी में ग्राम पंचायत कनकापाल के मजदूर डेढ़ वर्षो से कभी दरभा तो कभी छिंदगढ़ का चक्कर लगा रहे है परंतु उनकी मजदूरी नही मिल रही है । यहाँ के मजदूर हूँगा,कैशे,सुकडा, सोमडी,आयता,भीमे, लखमी, उरे,जोगी आदि ने बताया कि हम लोगो ने मजदूरी कार्य किया है व कुछ मजदूरों की मृत्यु हो गई है परंतु हमे आजतक मजदूरी अप्राप्त है । कार्य के स्वीकृति से लेकर अब तक तीन तीन सचिव की नियुक्ति हो चुकी है परन्तु इन मजदूरो को उनकी मजदूरी नही मिली । एक के बाद एक सचिव बदलते गए और उनके बहाने भी बदलते गये । किसी ने कहा मेरा तबादला हो गया है इसलिए मैं नही दे सकता ,किसी ने कहा कि पूर्व सचिव का कार्य है मैं नही दे सकता तो वर्तमान सचिव ने तो जिला बदलने का ही बहाना बना दिया ।
अब ग्रामीण किसका भरोसा करें ? जन प्रातिनधियो का या शासन के नुमाइंदों से उनका विश्वास अब उठता जा रहा है । उनका कहना है कि यदि यही हालात रहे तो हम अपने गाँव मे अब कोई भी कार्य नही होने देंगे । हमे अपने काम के बदले मजदूरी चाहिए।

2016-17 में ग्यारह लाख की लागत से स्वीकृत हुआ सड़क पुलिया

ग्राम वासियो की माने तो सत्र 2016-17 में मनरेगा के तहत ग्यारह लाख की लागत से कनकापाल से लामीपारा सड़क निर्माण एवम पुलिया निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ । इसके पहले सड़क नही था , अतः इस कार्य को लेकर ग्रामीणों में बहुत खुशी थी परन्तु कार्य करने के बाद आज तक मज़दूरी नही मिलने पर अब भारी रोष व्याप्त है ।

नक्सल प्रभावित ग्राम है कनकापाल

विदित हो कि जब नक्सलियों की आवाजाही इस क्षेत्र में थी तो इस क्षेत्र के रहवासियो को नक्सलियों का प्रबल समर्थक माना जाता था । इस सम्बंध में यहां के निवासी व पूर्व जनपद उपाध्यक्ष लक्ष्मण कश्यप से बातचीत करने पर उन्होंने कहा – “जब भी हमने अधिकारियों या नेताओ को इस गाँव की समस्या से अवगत कराने यहां आने का आमंत्रण दिया हमेशा नक्सल प्रभावित होने के कारण आने से इनकार कर दिया । ग्रामीण समस्या से ग्रसित है उनका ध्यान कौन देगा । किस प्रकार हम लोग यहां निवास कर रहे है इससे रूबरू होने उन्हें आना चाहिए हम यदि ऐसी बातें करते है तो हम लोगो को नक्सल समर्थक का दर्जा दे दिया जाता है । गाँव की समस्या हेतु जब मैंने लड़ाई लड़ी तो मुझे नक्सल समर्थक घोषित कर दिया,मैं गाँव छोड़कर तीन वर्षों तक घर से बाहर रहा मेरा घर,बैल,गाय सब बर्बाद हो गए अब वापस आकर धीरे धीरे अपना छतिग्रस्त घर सही कर रहा हूं । “

हमेशा उपेक्षा का शिकार रहा है कनकापाल

आपको बता दे कि राजनीतिक एवं अधिकारिक तौर पर भी यह ग्राम हमेशा से ही उपेक्षा का शिकार रहा है दशक पूर्व इस पंचायत के लोग राजनीतिक स्तर पर सीपीआई के समर्थक माने जाते थे । जगदलपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले इस ग्राम के लोगो ने विधानसभा चुनाव 2013 में भाजपा का समर्थन किया व वर्तमान विधानसभा में कांग्रेस के विधायक रेखचन्द जैन को यहां से बहुमत प्राप्त हुई । बावजूद इसके इस ग्राम में अब तक एक बार बैदूराम कश्यप तत्कालीन विधायक एवम दरभा के सीईओ रहे डॉ जहीरुद्दीन ने अपने कार्यकाल में जनसमस्या शिविर का आयोजन किया था इसके अलावा कोई भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि यहाँ नही आया है ।

रिपोर्ट – संजय सिंह कुकानार से

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