इंडियन गवर्नमेंट कंपनी’ करोडो के घाटे में, क्यों न इसे अम्बानी को बेच दिया जाये

थोड़े दिनों बाद आप एक ब्रेकिंग हेडलाइन देखेंगे कि…. ‘इंडियन गवर्नमेंट कंपनी’ लाखो करोड़ के घाटे में’ अंदर छोटे शब्दो मे लिखा आएगा ‘क्या इसे अम्बानी को बेच दिया जाना चाहिए?

गिरीश मालवीय

आप हंस रहे है! लेकिन यह सच है ऐसी खबरों की शुरुआत हो चुकी हैं!

कल आयी एक खबर ने सबका ध्यान खींचा उस खबर का शीर्षक कुछ यूं था ‘सरकारी कम्पनी इंडिया पोस्ट घाटे में’

अंदर खबर यह थी कि ‘बीसीएनएल और एयर इंडिया के बाद अब सरकार की एक और कंपनी इंडिया पोस्ट घाटे में चल रही है। बल्कि इस इंडिया पोस्ट घाटे में बाकी दोनों कंपनियों को पीछे छोड़ दिया। बीते तीन वित्त वर्ष में इंडिया पोस्ट का घाटा बढ़कर 150% बढ़ गया है। यानी 2018-19 में इस घाटा 15000 करोड़ रुपए। अब यह सबसे ज्यादा घाटे वाली सरकारी कंपनी हो गई है’

इस खबर को पढ़कर पता लगता है कि आज के पत्रकारों की अक्ल घुटनो में चली गई है।….. आज से पहले आपने किसी कम्पनी इंडिया पोस्ट का नाम सुना है?……..असलियत में यह कोई कम्पनी नही है यह भारतीय डाक विभाग का ब्रांड नेम है ओर जिसे कम्पनी का घाटा बताया जा रहा है वह दरअसल भारतीय डाक विभाग का घाटा है अब सरकार के बहुत से विभाग घाटे में चल रहे हैं…… तो आप बताइये क्या किया जाना चाहिए?

सवाल यह है कि भारतीय डाक विभाग को घाटा क्यो हो रहा है 2015-16 में डाक विभाग का घाटा 6,007.18 करोड़ रुपये का रहा था तब भी यह कंट्रोल में था लेकिन जैसे ही सातवे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की गई घाटा तिगुना हो गया कायदे से पत्रकारों को यह हेडलाइन बनानी थी कि ‘इंडिया पोस्ट कम्पनी के कर्मचारियों को सातवे वेतन आयोग का लाभ क्यो’

भारतीय डाक विभाग के पास 1,54,802 पोस्ट ऑफिस हैं जिसमें से 812 हेड ऑफिस हैं, 24,566 सब पोस्ट ऑफिस और 1,29,424 ब्रांच पोस्ट ऑफिस हैं। लाखो करोड़ की संपत्ति होगी , लाखों कर्मचारी काम करते हैं…..सातवे वेतन आयोग की सिफारिश लागू होगी तो खर्चा तो बेतहाशा बढ़ेगा ही ओर अर्निंग के नाम पर कुछ नही है!…….

यदि मोदी जी चाहते तो एक झटके में इसे फायदे में ला सकते थे यदि वह डिजिटल पेमेंट की कमान इस विभाग के हाथों में दे देते तो!,……..लेकिन उन्हें तो पेटीएम का फायदा करवाना था……… उन्हें जियो मनी के साथ स्टेट बैंक की पार्टनर शिप करवानी थी …..यही पार्टनरशिप यदि वह डाक विभाग के पोस्ट पेमेंट बैंक के साथ करवा देते तो इस नए पेमेंट बैंक को लाखों कस्टमर एक साथ मिल जाते कर्मचारियों को काम भी मिलता लोगो की गाँव गाँव मे फैले पोस्ट ऑफिस के नेटवर्क का फायदा भी मिलता

लेकिन कर्मचारी तो चन्दा देता नही है, चन्दा तो जियो देता है इसलिए ऐसी खबरें आपको दिखाई जाती है ताकि आप ऐसे विभागों के कर्मचारियों की खूब लानत मलामत करो ओर प्राइवेटाइजेशन के समर्थक बन जाओ……..

यह खबर भी इसी उद्देश्य को पूरा करने के हिसाब से डिजाइन की गयी है……हमारा काम आपको सच्चाई बताना था तो वो बता दी ….आगे आपकी मर्जी

गिरीश मालवीय जी के फेसबुक वाल से

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