ग्रेटा की वापसी के बाद रिमा बनी हुई है इजराइल के गले की हड्डी
फोन से नहीं शांति के हथियार से कांप रहा है इजराइल
ग्रेटा के साथ आईं यूरोपीय पार्लियामेंट की सदस्य वामपंथी पार्टी की रिमा हसन अभी इजराइल के हिरासत में हैं. कहा जा रहा है उन्हें 96 घंटे तक बंधक बनाकर रखा जा सकता है. रिमा ने इजराइल के डिपोर्टेशन से संबंधित दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था. रिमा के साथ इजराइल अमानवीय व्यवहार कर सकता है क्योंकि समय -समय पर इजराइल को रिमा परेशान करती रहीं हैं. वे लगातार फिलिस्तीन की आवाज उठा रहीं है.
रिमा हसन की जिंदगी बेहद संघर्षपूर्ण रहा है.उनका जन्म सीरियाई शहर अलेप्पो के पास नीराब के फिलिस्तीनी शिविर में हुआ था .उन्होंने इजराइल के अत्याचार को अपनी आँखों से देखा है.रिमा हसन नौ वर्ष की आयु में फ्रांस पहुंची थीं, 2010 में जब उनकी आयु 18 वर्ष हुई तो वे फ्रांसीसी नागरिक बन गईं.उनके पिताजी, माँ और बहन भी लंबे समय तक नीराब शिविर में रहें.पेशे से वकील रिमा अपने पूरे करियर के दौरान देश में शरणार्थियों के अधिकारों के लिए काम किया और उनकी वकालत की, गाजा में इजरायल के सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद एक्शन फॉर फिलिस्तीन कलेक्टिव की स्थापना की.वह ऑब्ज़र्वेटरी डेस कैम्प्स डे रिफ्यूजीज (शरणार्थी शिविर वेधशाला) की संस्थापक भी हैं .सांसद के पद पर चुने जाने के बाद हसन ने फ्रांसीसी मीडिया से
कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता गाजा और वहाँ के लोग हैं.और वाकई अपनी मिट्टी लौट आईं है रिमा लड़ने के लिए. रिमा की आवाज उन 50 से अधिक मुस्लिम देशों से ज्यादा गूंज रहीं है जो चुप, खामोश बैठे हैं.
विक्रम नारायण सिंह