पर्यावरण संतुलन के लिए हसदेव में पेड़ों की कटाई जरूरी ! 

इतना ज्ञान कहां से लाते हो सरकार?

संजय पराते

🔴 मोदी सरकार का नया ज्ञान : पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए हसदेव में पेड़ों की कटाई जरूरी! 

🟠 यह ज्ञान दिया है केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने, जो राज्यसभा सदस्य सदस्य संदीप पाठक के एक सवाल के जवाब में उन्होंने पेला है।

🟡 इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी है कि हसदेव में पहले ही 94,460 पेड़ काटे जा चुके हैं, जिसकी एवज में 53,40,586 पेड़ लगाए गए हैं। (ये पेड़ कहां लगे हैं, खनन प्रभावित लोगों को नहीं मालूम!, तो फिर सरकार ही क्या बताएगी!! वैसे इस सरकार को इतना भी ज्ञान नहीं है कि पेड़ नहीं, बल्कि पौधों का रोपण होता है, जो सही देखभाल के साथ दसियों साल बाद युवा होकर पेड़ बनते हैं।) 

🟢 अब परसा एक्सटेंशन कोल ब्लॉक के लिए 2,73,757 पेड़ और काटे जायेंगे। यहां से निकलने वाला कोयला राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को दिया जाएगा, जिसे अपने कोयला आधारित पावर प्लांटों को चलाने के लिए हर साल लगभग 200 लाख टन कोयले की जरूरत पड़ती है।

🔵 यहां तीन सवाल है, जिसका भाजपा और उसकी सरकार जवाब देने से कतरा रही है :

1. परसा एक्सटेंशन के लिए पेड़ों की कटाई से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई के लिए इस सरकार को  1.55 करोड़ पौधे लगाने होंगे। इसके लिए कम से कम 15500 एकड़ भूमि की जरूरत पड़ेगी। पौधारोपण के लिए इतनी भूमि कहां से लाई जाएगी और इसके लिए किस भूमि को चिन्हित किया गया है?

2. पीईकेबी खदान के लिए पेड़ों की कटाई से हुए नुकसान के लिए जिन 53.40 लाख से अधिक पौधों को लगाने का दावा किया जा रहा है, उसके लिए न्यूनतम 5340 एकड़ भूमि कहां पर है, जिसका स्वतंत्र संस्थाएं निरीक्षण कर सकें?

3. राजस्थान की अधिकतम कोयला जरूरत 200 लाख टन सालाना की है, जो कि हसदेव क्षेत्र में पहले से चल रही दो कोयला खदानों से पूरी हो रही है। फिर तीसरे खदान के उत्खनन की जिद क्यों?

🟣 वैसे तो जितने पेड़ काटे गए हैं और जितने कटने हैं, उनकी संख्या को भी चुनौती आसानी से दी जा सकती है। वन विशेषज्ञों के अनुसार, एक सघन वन क्षेत्र में पेड़ों की न्यूनतम संख्या प्रति हेक्टेयर 1600 होती है। यदि इसे ही आधार बनाया जाएं, तो 4000 हेक्टेयर में फैले परसा और पी ई के बी कोल ब्लॉक में 64 लाख पेड़ों की कटाई हो चुकी है और परसा एक्सटेंशन के लिए लगभग 28 लाख पेड़ों की कटाई और होगी। सरकारी आंकड़े आश्चर्यजनक ढंग से वास्तविक कटाई का केवल 4% ही स्वीकार कर रहे है। 

#यह_अडानीपरस्ती_नहीं_तो_और_क्या_है_सरकार?

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