सुप्रीम कोर्ट में अब रिकार्ड चोरी कर भी बदलवा सकते हैं फैसले, विजय माल्या के प्रकरण में दस्तावेज हो गए चोरी

सरकार और सुप्रीम कोर्ट अपने 6 साल पुराने डॉक्युमेंट्स दिखाने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन नागरिकों से उम्मीद 60 साल पुराने डाक्यूमेंट्स दिखाने की

श्याम मीरा सिंह

खबर आ रही है विजय माल्या केस के डॉक्युमेंट्स चोरी हो चुके हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में माल्या केस की सुनवाई रुक गई है। दोबारा पढ़िए डाक्यूमेंट्स “चोरी हो चुके हैं”। इस खबर को पढ़ने के बाद से मन में सरकार के लिए सवाल नहीं आ रहे बल्कि बेचारे चोरों के लिए सहानुभूति आ रही है। आप सोचिए मासूम चोरों कि ऐसी क्या मजबूरियां रही होंगी कि पेट भरने के लिए उन्हें कागज, रद्दियां, कॉपी, किताबें चुरानी पड़ रही हैं। हमारे यहां कुवे पर लटकी हुई बाल्टी को चुराने के किस्से हमने भी सुने थे, उसे हमारे यहां चिन्दी चोरी कहा जाता था। लेकिन हमारे गांव में भी चोर इतने गरीब नहीं थे कि कागज, पत्रा की चोरी करें। उन माल्या के डाक्यूमेंट्स वाले चोरों से मेरी पूरी सहानुभूति है जिन्हें चुराने के लिए धन नहीं मिल पा रहा है तो ए4 साइज की फोटोस्टेट ही चुरा ले जा रहे हैं। पापी पेट आखिर क्या न कराए।

विजय माल्या द्वारा लीला गया गया पैसा, किसका पैसा था, जनता का था कि टैक्स का, यह सब फालतू की गणित समझने का समय इस देश के पास नहीं है। इसलिए इस विषय को ज्यादा बोझिल और पकाऊ नहीं करते हैं। अगर इस केस से जुड़ा हुआ कोई नया मीम मार्किट में आया तो आप लोगों से जरूर शेयर करूँगा। आपको व्हाट्सएप पर भी फॉरवर्ड करूँगा। क्योंकि मीम्स ही हमारे समय की ग्राउंड रिपोर्ट्स हैं। मीमर्स ही हमारे समय के रिपोर्टर्स हैं। और जो मीम्स से बढ़कर अफीम बेचने में एक्सपर्ट हो गए वे प्रमोशन पाकर टीवी मीडिया के एंकर बन चुके हैं।

खैर, इससे कुछ दिन पहले चीनी कब्जे से जुड़ी इन्फॉर्मेशन भी रक्षा मंत्रालय से गायब कर दी गईं थीं। पिछले साल इन्हीं दिनों में सरकार से राफेल के कागज मांगे गए तो सरकार ने एक और सूचना निकाली “कि राफेल के कागज चोरी हो चुके हैं। बीते दिनों नागा आतंकियों से एक संधि हुई। कुछ दिन बाद खबर आई कि संधि से जुड़े कागज भी चोरी हो चुके हैं।

अपने देश की इस शानदार सरकार को सुझाव है कि जब भी डाक्यूमेंट्स चोरी हुआ करें, या डिलीट हो जाया करें, उन डॉक्युमेंट्स को एक्सेस करने के लिए दिल्ली की नेहरू प्लेस मार्केट चला जाया करें। वहां 500 रुपए में पुराने से पुराने डॉक्युमेंट्स को 5 मिनट में एक्सेस किया जा सकता है। अगर वर्तमान गृहमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री के मन को भायी एक लड़की की जासूसी की टेप्स भी खो गई हों तो वे भी प्रधानमंत्री की पुरानी चिप से दो मिनट में डाउनलोड की जा सकती हैं। जिसमें “साहेब जी, साहेब जी का जिक्र है”। और ये काम नेहरू मार्केट का एक मझला सा दुकानदार भी कर सकता है। लेकिन दिक्कत शायद इस मार्किट के नाम में ही इनबिल्ट है।

जिस तरह सरकार पर RTI के जबाव दिखाने के लिए नहीं है। PMCARe का हिसाब दिखाने के लिए नहीं है। GDP के आंकड़ें दिखाने के लिए नहीं है। नेशनल क्राइम रिपोर्ट दिखाने के लिए नहीं है। प्रधानमंत्री की डिग्री दिखाने के लिए नहीं है। उससे ये बात याद कर कर के हंसी आ रही है कि ये वही सरकार है जो इस देश के गरीब से गरीब, बेघर, रेहड़ी, बाढ़ में डूबे लोगों और फुटपाथ पर रहने वाले नागरिको से उम्मीद कर रही थी कि वे 1947 से पहले रहने वाले अपने पुरखों के कागज तैयार रखे। सरकार पर अपने 6 साल पुराने डॉक्युमेंट्स दिखाने के लिए नहीं हैं, लेकिन नागरिकों से उम्मीद 60 साल पुराने डाक्यूमेंट्स दिखाने की है।

असल में इस सरकार पर दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है, मतलब कुछ भी नहीं हैं। सिवाय लाखों दीपोत्सव से सजे सुंदर मंदिर और छाती के बल लेटे यशस्वी प्रधानमंत्री की तस्वीरें।

श्याम मीरा सिंह

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