महेश गागड़ा के करीबी भाजपा समर्थित ठेकेदार को विधायक विक्रम मंडावी का संरक्षण ? 63 लाख मरम्मत में, बन सकता था नया भवन !

मुकेश/यूकेश चंद्राकर

भूमकाल समाचार (बीजापुर ) – 1 अगस्त को हमने खुलासा किया था कि जिला मुख्यालय के हृदयस्थल में डीएमएफ मद से प्रशासन बगैर निविदा बुलाये नियमविरुद्ध जाकर उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल के लिए चयनित भवन के मरम्मत का कार्य करवा रहा है । हमारी खबर का असर राजधानी तक देखने में आया साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी ड़ी.समैया को स्पष्टीकरण का नोटिस भी थमा दिया गया । क्या इतने में बात आई गयी हो जानी चाहिए या इस खेल में एक बड़ा राजनीतिक झोल है ? हमने 1 अगस्त को प्रकाशित इस खबर की पहली किश्त में आपको बताया था कि जहां ये मरम्मत का कार्य चल रहा है, उससे महज़ 25 मीटर की दूरी पर विधायक विक्रम मंडावी का शासकीय निवास व कार्यालय मौजूद है । सवाल ये उठता है कि जो ठेकेदार बगैर प्रशासकीय स्वीकृति और बिना टेंडर प्रक्रिया के इस कार्य को करवा रहा है, क्या उसे विधायक विक्रम का संरक्षण प्राप्त है ?
महेश गागड़ा के करीबी माने जा रहे गीदम के ठेकेदार के नाम का खुलासा करते हुए भाजपा के जिलाध्यक्ष श्रीनिवास मुदलियार ने विधायक विक्रम पर आरोप लगाते हुए कहा है कि त्रिलोक सुराना को विक्रम मंडावी का संरक्षण मिला हुआ है ।
महेश गागड़ा के कार्यकाल में त्रिलोक सुराना नाम का ठेकेदार बीजापुर में कई निर्माण कार्य करवाता रहा है। सूत्रों के अनुसार, त्रिलोक सुराना चुनावों के समय महेश गागड़ा को पूरा आर्थिक सपोर्ट भी करता रहा है ।
भाजपा जिलाध्यक्ष मुदलियार का सीधा आरोप है कि ठेकेदार त्रिलोक सुराना को विधायक विक्रम मंडावी का संरक्षण मिला हुआ है। विधायक के संरक्षण में सुराना कई कार्य करवा रहे हैं और सारे कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिनका खुलासा जल्द ही वे करेंगे, सुनें –

बाईट – श्रीनिवास मुदलियार, जिलाध्यक्ष भाजपा ।

बात यहीं आकर नहीं रुक जाती है, मुदलियार के आरोपों के बाद छत्तीसगढ़ काँग्रेस के प्रदेश सचिव अजय सिंह से बात की गई । अजय सिंह ने कहा कि त्रिलोक सुराना को विधायक का संरक्षण नहीं मिला है । उन्होंने कहा कि इस मामले में सीधा हाथ जिला प्रशासन का है ।

अजय सिंह से हमारी बातचीत सुनें –

जिस तरह से अजय सिंह भाजपा के आरोपों का खंडन करते हैं और कह रहे हैं कि सुराना को विक्रम का संरक्षण मिलने की बात न्यायसंगत नही होगी, से लगता है कि अजय सिंह न्यायाधीश ही हैं! अजय सिंह प्रशासन पर आरोप लगाते सुनाई देते हैं, साथ ही वे एक जगह प्रशासन के बचाव पर भी नज़र आये हालांकि उन्होंने जैसे ही भांप लिया कि वे बचाव के शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं वे फिर से आरोप पर लौट आए ।
वे कहते हैं वे संगठन से जुड़े हैं, संगठन में बात रखेंगे फिर जैसे अपनी गलती सुधारते हुए कहते हैं.. रख दिये हैं । बातचीत में अजय सिंह बहुत स्पष्ट नहीं नज़र आते, वे अपनी बात जिस तरह से खत्म कर रहे हैं ये इस बात को पुष्ट भी करता है ।
इस मामले पर हमने पूर्व मंत्री महेश गागड़ा से भी बात की। उन्होंने त्रिलोक सुराना को अपना करीबी होने के आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि सुराना सिर्फ एक ठेकेदार है। वह प्रक्रिया के तहत कार्य करता है। गागड़ा पूर्व में कानून मंत्री रह चुके हैं, उन्हें मालूम है कि जिस नियमविरुद्ध लाखों के मरम्मत के कार्य का खुलासा हुआ है और आज जो बहस का मुद्दा है उस पर वे कह रहे हैं कि त्रिलोक सुराना प्रक्रिया के तहत कार्य करता है ! जिस प्रक्रिया की बात गागड़ा करते हैं वह प्रक्रिया इस जीर्णोद्धार के कार्य मे कहाँ नज़र आती है ? ज़रूर कोई प्रक्रिया होगी । आगे कहते हैं, “बात किसी का करीबी होने की नहीं है !” उनके इस वाक्य को रुककर सुनें तो आप किस नतीजे पर पहुंचेंगे ? आगे कहते हैं, किसी का करीबी बताकर ‘प्रक्रिया’ को कमज़ोर कर दिया जाएगा फिर कहते हैं कि बात गुणवत्ता की होनी चाहिए । शायद पूर्व कानून मंत्री भूल गए कि ये कार्य ही नियमविरुद्ध किया गया है जिस पर वे बात कर रहे हैं वो मामला गुणवत्ता से जुड़ा ही नहीं है। एक सवाल के जवाब में वे कहते हैं ये मामला आर्थिक अपराध है, इस मामले में एफआईआर होना चाहिए । मामले का संज्ञान मुख्यमंत्री को भी लेना चाहिए । महेश गागड़ा से की गई बातचीत सुनें –

बाईट – महेश गागड़ा ।

मामले पर हमने विधायक विक्रम से भी बात की लेकिन विक्रम ने खबर लिखे जाने तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । पूरे मामले को समझने की कोशिश की जाए तो राजनैतिक पैंतरे साफ नजर आ रहे हैं और ढेरों सवालों के बीच एक नया सवाल खड़ा हो जाता है कि क्या त्रिलोक सुराना बीजापुर की राजनीति की आर्थिक रीढ़ है ?
1 अगस्त को जब हमने इस मामले पर विक्रम मंडावी से बयान लेना चाहा था तब उन्होंने कहा था कि निर्माण संबंधी कार्य के बाबत उन्हें कोई जानकारी नहीं है हमें इस मामले पर कलेक्टर से बयान लेना चाहिए । विधायक खुद डीएमएफ के सदस्य हैं तो डीएमएफ के कार्य के सम्बंध में उन्हें भला कैसे जानकारी नहीं हो सकती ? विधायक कार्यालय सह निवास के महज 25 मीटर नज़दीक लाखों रुपयों का कार्य नियमविरुद्ध चलने के बारे में विधायक को न मालूम हो क्या ये संभव हो सकता है ? विक्रम मंडावी के हाव भाव उन्हें संदेह के दायरे में लाकर खड़ा करते हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि विधायक, प्रशासन और ठेकेदार आपस मे मिले हुए हों ? विधायक विक्रम की कार्यप्रणाली से काँग्रेस समर्थित ठेकेदारों का एक वर्ग उनसे इसलिए भी खफा है कि उनकी सरकार होते हुए भी एक भाजपा समर्थित ठेकेदार को कार्य दिए जा रहे हैं और वह भी सभी नियमों को हाशिये पर रखकर !

यूकेश/मुकेश चंद्राकर

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