गद्दार वामपन्थी ..

हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी नाम का एक संगठन उस जगह बना था, जिसे आप फिरोजशाह कोटला कहते है, आज क्रिकेट की वजह से जाना जाता है। वह कोटला जो सुल्तान फिरोजशाह की आरामगाह था। वह मुसलमान सुल्तान जिसने अशोक के धराशायी हो चुके स्तम्भ, मखमल में लिपटा कर दिल्ली मंगाए थे, और उसे अपने सामने बाइज़्ज़त दिल्ली में लगवाया। कोटला के ऊपर आज भी अशोक स्तम्भ गड़ा है।

वो अशोक स्तम्भ जिसकी ब्राह्मी लिपि को किसी ब्राह्मण ठाकुर ने नही, अंग्रेजो ने पढ़ा और पढ़कर तथ्य निकाले। जिसे इतिहास के रूप में लिखा, जिसे आप वामपन्थी इतिहास कहकर खारिज करते हैं।

तो अशोक स्तम्भ की छाया तले, सल्तनत युग के खंडहरों में चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्लाह, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और तमाम बड़े नाम जिन्हें आप भारत का क्रांतिकारी समझते हैं, जुटे और बनाई आर्मी- हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी।

यह सोशलिस्ट आर्मी, क्रांति के सपने देखती थी और साम्राज्यवाद के नाश के सपने देखती थी। तो भगतसिंह और उनके दो साथी जब सेंट्रल असेम्बली में बम फेंकते है- उस वक्त जब ड्रेकोनियन पब्लिक सेफ्टी एक्ट पास हो रहा था- (आप टाडा समझ लीजिए)। बम फेंकते हुए नारे लगाए-

  • इंकलाब जिंदाबाद
  • साम्राज्यवाद के नाश हो

यह दोनो नारे आठ साल पहले हुई रूसी क्रांति के नारे का तर्जुमा थी। इंकलाब मतलब क्रांति। तो इंकलाब जिंदाबाद याने “लांग लिव रिवोल्यूशन”। यह रशियन बोल्शेविक्स यही नारा लगाते थे। और कहते थे डाउन विद इम्पीरिलिज्म, याने साम्राज्यवाद का नाश हो। रशियन क्रांति से प्रभावित पण्डित, मुल्ले और सरदार ने इसके नारे लगाते अंग्रेजो को हलाकान कर दिया।

वो सरदार, जब फांसी के लिए जाने लगा तो आखरी पल तक लेनिन की जीवनी का एक और पन्ना पढ़ जाने को लालायित था।

दुनिया मे दक्षिणपंथ का कोई आईड़ियोलॉजिकल इतिहास नही है। असल मे जनता, शोषित, मजदूर और किसान के हितों में वामपंथ खड़ा हुआ, तो जिनके पास सत्ता और ताकत थी, प्रतिक्रिया में जान, धंधा, पैसा और प्रभुत्व बचाने के लिए दूसरी ओर लामबन्द हुए। पुराना राज, पुराना सिस्टम कायम रखने की कोशिश में लगे ये लोग दक्षिणपंथी कहलाये।

वे राजा या तानाशाह के समर्थन में खड़े होकर उसे ही देश बताने लगे, और राजा के खिलाफ जाने वाले को देशद्रोही, गद्दार। पुराने प्रभुत्व को संस्कृति कहकर बचाने की कोशिश की। धर्म के नाम पर विरोधियो को बांटने का तरीका ईजाद किया। बांटना, तोड़ना, ऊंच नीच, रेसिज्म, धर्म, धमकी, एब्यूज उंसके लक्षण है। उसका दर्शन है। यह टुकड़े टुकड़े गैंग है।

जी हां, दक्षिणपंथ कोई विचारधारा नही है। इसके कोई नियम, उद्देश्य, तरीके, साहित्य या फिलासफी नही है। दरअसल वामपंथ जो-जो कहता है, चाहता है उंसके विरुद्ध प्रतिक्रिया में जो-जो कहा और किया जा सकता है, उसका समुच्चय है।

बस, इसलिए आपको किसी बहस में खुद कोई क्लियर लाइन, कोई दर्शन, इतिहास या साहित्य नही मिलेगा। केवल आपके कथन, विचार, इतिहास, साहित्य, दर्शन में “ऐसा क्यो” “वैसा क्यो नही” के सवाल भर मिलेंगे। गालियां, दोषारोपण, मूर्तिभंजन, फैक्ट ट्विस्टिंग टन भर मिलेंगे।

तो राजद्रोही को फांसी लगाने वाले दक्षिणपन्थी है। गोली खाने वाले वामपंथी, मारने वाले दक्षिणपंथी है। सत्ता अंग्रेजो (इम्पीरियलिस्ट) की हो, माओ (कम्युनिस्ट) की, या हिटलर (सोशलिस्ट) की… गवरमेंट ऑफ द डे की क्रूरता और संवेदनहीनता के विरुद्ध खड़े होने वाले वामपन्थी है, और उसकी वंदना करने वाले दक्षिणपन्थी। यह ठीक से समझे जाने की जरूरत है।

तो वामपन्थी चंद्रशेखर तिवारी, उर्फ आजाद का आज जन्मदिन है। सोशलिज्म और कम्युनिज्म वामपंथ के दो शेड हैं। हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के संस्थापक ( आप वामी गैंग कह लीजिये) अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद को मेरा नमन।

आप भी करें। और उन्हें भी यह बातें बतायें, जो साल भर कहते, बोलते, लिखते नही नही थकते।

“गद्दार वामपन्थी”

मनीष सिंह

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