गाय गोबर और गांव

गोकुल सोनी

साथियो, अपने पूर्वजों से मैंने यह बात कई बार सुनी है कि खेती के लिए गाय का गोबर अमृत है । इसी अमृत की वजह से हमारे खेत सोना उगलते हैं । हम अच्छी तरह जानते हैं कि खेतों में गाय का गोबर उपयोग करने से जहां भूमि की उर्वरता बनी रहती है, वहीं उत्पादन भी अधिक होता है और फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है । आम धारणा यह भी है कि गाय के गोबर के कंडे से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग जाते हैं तथा दुर्गंध का नाश हो जाता है । गौमूत्र अपने आसपास के वातावरण को भी शुद्ध रखता है । हम गांवों में बचपन से देखते आ रहे हैं कि गाय के गोबर से चर्म रोगों का उपचार किया जाता है । मकानों की दीवारों और भूमि को गाय के गोबर से लीपा-पोता जाता है । आज भी गांवों में गाय के गोबर का प्रयोग चूल्हे बनाने, आंगन लीपने एवं मंगल कार्यों में किया जाता है । हमारे देश और खासकर छत्तीसगढ़ में गाय को देखने का नजरिया पूरी दुनिया से अलग है, यहां गाय सिर्फ गाय नहीं बल्कि हमारी माता होती है ।
ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार के गोबर खरीदने के निर्णय का स्वागत करने की बजाय कोई गोबर का उपहास करे, यह किसी छत्तीसगढ़िया को शोभा नहीं देता । हम सब छत्तीसगढ़िया गोबर-गणेश के बारे में जानते ही हैं । जब भी हमारे घर में कोई शुभकार्य होता है, हम गोबर से गणेश की आकृति बनाकर उसकी पूजा करते हैं । हमारी संस्कृति और पूजा पद्धति में शामिल है गोबर । इस गोबर को खरीदने का निर्णय लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने देश में इसके मान-सम्मान को और बढ़ाया है । हममें से बहुत कम लोग यह जानते हैं कि रायपुर के सेंट्रल जेल में वर्षो से गोबर से खाद बनाई जाती है । यह खाद उच्य क्वालिटी की होती है । इसकी अच्छी मांग है । मैं कई वर्ष पहले से अपने गमलों के लिए यहीं से खाद खरीदता हूं । इसके अलावा जेल में हवन-पूजन के लिए गोबर से कंडे भी बनाकर बेचा जाता है । गोबर को यहां फिल्टर किया जाता है उसके बाद इससे खाद बनाते हैं । इस प्रक्रिया से बनने के बाद खाद में कोई गंदगी नहीं रहती, इसके अलावा पौधे में अतिरिक्त कोई घास भी नहीं उगती, यह इसकी विशेषता है।

आज हरेली त्यौहार के दिन से नरवा, घुरवा, बारी योजना और गोधन न्याय योजना का पूरे प्रदेश में हमारे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी शुभारंभ करने जा रहे हैं। इसका उदेश्य पारंपरिक संसाधनों को पुनर्जीवित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है। सरकार द्वारा गोबर खरीदने के कई फायदे हैं । किसान समृद्ध और आत्मनिर्भर बनेंगे। किसानों की आर्थिक तंगी दूर होगी। किसान अब पशुओं का लालन- पालन ठीक तरह से कर पायेंगे। पशुधन से दूर होते किसान अब पशुओं में रूचि लेंगे । पशुओं को किसान अब सड़क पर आवारा नहीं छोड़ेंगे, इससे दुर्घटनाएं नहीं होंगी । फसलों के संरक्षण में सहायता मिलेगी । गोबर खाद से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाई जा सकेगी । गोबर आधारित खेती से मानव स्वास्थ्य को बचाया जा सकता है। गोबर खाद से उत्पन्न आनाज जहरमुक्त होगा । नगरी में एक किसान वर्षों से गोबर खाद से दुबराज चावल पैदा करता है । दूर-दूर से लोग वहां गोबर खाद से पैदा हुए दुबराज चावल खरीदने जाते हैं । मुख्यमंत्री जी के इस निर्णय से गांव स्वावलम्बी तथा समृद्धशाली बनेंगे ऐसा मेरा मानना है । टीवी पर सत्यमेव जयते कार्यक्रम में एक व्यक्ति ने बताया था कि वह गोठान में गायों को रखा है । बाजार से बची-खुची सब्जियों को खरीदकर लाता है और गायों को खिलाता है । गायों के खाने के बाद जो सब्जियों के अवशेष बच जाते हैं उसे मछली पालन केन्द्र को बेच देता है । गायों से जो गोबर मिलता है उसे खाद बनाकर बेचता है । इस तरह वह गायों से लाखों रुपये कमा लेता है । इस गोबर से हमारे छत्तीसगढ़ के किसानों की अतिरिक्त आमदनी होती है तो इसमें क्या बुराई है ।

फ़ोटो व लेख – गोकुल सोनी

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