कोरबा नगर निगम में एमआईसी बैठक का बहिष्कार करेगी माकपा पार्षद

कोरबा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि बिना किसी एजेंडा की सूचना दिए महापौर द्वारा एमआईसी की बैठक बुलाना गलत और एमआईसी सदस्यों के अधिकारों का हनन है। हर एमआईसी बैठक से पूर्व एजेंडे को जानना सदस्यों का अधिकार है, ताकि वे सुचिंतित तरीके से आम जनता के पक्ष में अपनी बात रख सके। चूंकि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया कोरबा महापौर द्वारा नहीं अपनाई जा रही है, आज आहूत एमआईसी बैठक का माकपा पार्षद सुरती कुलदीप बहिष्कार करेगी।

माकपा के कोरबा जिला सचिव प्रशांत झा ने आज यहां मीडिया को यह जानकारी दी। एमआईसी बैठक के बहिष्कार का निर्णय दोनों माकपा पार्षदों राजकुमारी कंवर और सुरती कुलदीप के साथ बैठक करने के बाद और माकपा प्रतिनिधियों के प्रति निगम अधिकारियों और महापौर के रवैये को देखते हुए लिया गया है। माकपा नेता ने कड़े शब्दों में कहा है कि निगम के अंदर माकपा प्रतिनिधियों को निगम प्रशासन हाथ उठाकर सहमति देने वाले रोबोट के रूप में न देखें, बल्कि आम जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में मान्यता और सम्मान दें और लोकतांत्रिक ढंग से एमआईसी को चलाने की जिम्मेदारी पूरा करें।

उल्लेखनीय है कि कोरबा नगर निगम में माकपा की दो महिला पार्षद निर्वाचित हुई है, जिनका समर्थन पाने के लिए कांग्रेस को काफी पसीना बहाना पड़ा था और महापौर व सभापति निर्वाचन से पहले पत्रकार वार्ता के जरिये सार्वजनिक रूप से माकपा को आश्वासन देना पड़ा था कि उनके द्वारा रखे गए जनहितैषी मुद्दों को पूरा करने के लिए पहलकदमी की जाएगी। माकपा ने भी स्पष्ट कर दिया था कि कांग्रेस को उसका समर्थन भाजपा जैसी सांप्रदायिक पार्टी को निगम की सत्ता से दूर रखने के लिए ही है और आम जनता के मुद्दों पर सड़क पर चल रहे अपने संघर्षों को वह तेज करेगी। तभी यह स्पष्ट हो गया था कि माकपा को साधना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा और एमआईसी बैठक का एजेंडा सूचित और सार्वजनिक न करने के मुद्दे पर बैठक का बहिष्कार कर माकपा ने अपने इरादों को जता भी दिया है।

माकपा नेता प्रशांत झा ने अपने बयान में कहा है कि बिना एजेंडा एमआईसी बैठक करना औपचारिकता है और आम जनता ने माकपा पार्षदों को औपचारिकता निभाने के लिए नहीं, जन समस्याओं पर संघर्ष करने के लिए भेजा है। माकपा पार्षद आम जनता के प्रति उत्तरदायी हैं, न कि कांग्रेस और महापौर के प्रति। इसलिए माकपा की मांग है कि एमआईसी और निगम की बैठकें पूरी पारदर्शिता और सार्वजनिक एजेंडों के साथ लोकतांत्रिक तरीके से आयोजित की जाएं।

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट और केंद्र के अविचारपूर्ण और अनियोजित लॉकडाउन के कारण आम जनता के सभी तबकों, विशेषकर रोज कमाने-खाने वाले मजदूरों, किसानों, लघु स्व रोजगार में लगे लोगों और छोटे व्यापारियों के सामने गहरा आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। निगम को झुग्गी-झोपड़ी की बस्तियों, ग्रामीण इलाकों और छोटे और मध्यम व्यापारियों के संपत्ति कर को माफ करने के लिए प्रस्ताव लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार बस संचालकों और ट्रक मालिकों के 700 करोड़ रुपयों से ज्यादा के टैक्स माफ कर सकती है, तो निगम प्रशासन छोटे तबकों के लोगों का संपत्ति कर माफ करके उन्हें राहत क्यों नहीं दे सकती?

माकपा पार्षद सुरती कुलदीप ने कहा कि आज निगम की एमआईसी बैठक का बहिष्कार कर विरोध जताया जा रहा है और आने वाले समय में यदि आम जनता के मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी, तो सड़क की लड़ाई लड़ी जाएगी। मोंगरा पार्षद राजकुमारी कंवर ने कहा है कि निगम का बांकी मोंगरा जोन अति पिछड़ा जोन है, जहां सुविधाओं की काफी कमी है और छोटे-छोटे काम करने के लिए भी अधिकारी फंड की कमी का रोना रोते नजर आते हैं। तब क्या निगम केवल जनता से टैक्स वसूली करने के लिए बना है? बांकीमोंगरा जोन के विकास के लिए विशेष पैकेज देने की मांग करते हुए उन्होंने कांग्रेस को इस संबंध में यहां की जनता से किये गए सार्वजनिक वादे की याद भी दिलाई। उन्होंने कहा कि सामान्य सभा मे इस मुद्दे पर महापौर द्वारा यदि पहलकदमी नहीं की जाती, तो माकपा निगम का घेराव करने से भी नहीं हिचकेगी।

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