जाति उन्मूलन आंदोलन ने न्यायपालिका के मनुवादी, फासीवादी अभिमुखीकरण की तीव्र निंदा की

ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित 3 जुलाई के प्रदर्शन का समर्थन किया।

रायपुर। जाति उन्मूलन आंदोलन ने आज जारी एक बयान में कोरोना संकट के दरमियान फासीवादी मोदी सरकार की मंशा के अनुरूप न्यायपालिका द्वारा लगातार मनुवादी/ब्राह्मणवादी व कॉर्पोरेटपरस्त जनविरोधी फैसलों की तीव्र निंदा की है। इस सरकार द्वारा किये जा रहे मेहनतकशों के दमन के खिलफ ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित 3 जुलाई के अखिल भारतीय प्रदर्शन का जाति उन्मूलन आंदोलन ने समर्थन किया है।

बंडू मेश्राम, यू शाम्बशिव राव, जिन्दा भगत ने

जाति उन्मूलन आंदोलन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ओर से गत दिनों न्यायपालिका द्वारा किये गए एक के बाद एक फैसले उसके तेज होते फासीवादीकरण का प्रतीक है। मिसाल के तौर पर हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने नीट को लेकर अहम टिपण्णी की है कि “आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है, यह आज का कानून है”। इस फैसले से ख़ुशी से सराबोर गोदी मीडिया के कमांडर ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी ने कहा है कि आरक्षण कामचोर बनाता है। दूसरी ओर देखिये दिल्ली में सांप्रदायिक दंगा भड़काने वाले भाजपाई नेता/मंत्री (कपिल शर्मा, अनुराग ठाकुर) व आतंकवादियों के घनिष्ठ सहयोगी डीएसपी देविंदर सिंह जैसों के लिए कानून का शिकंजा ढीला किया जाता है और मोदी सरकार की घोर जनविरोधी नीतियों का विरोध करने वाले विद्यार्थी, पत्रकार, बुद्धिजीवियों तथा भीमा कोरेगांव के मामले में साजिशन बंदी प्रख्यात मानवाधिकारवादियों पर कानून का शिकंजा मजबूती से कसा जाता है।

इसके अलावा कोविड के संकट में सबसे ज़्यादा परेशान, बदहाल गरीब मेहनतकश आम जनता के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा, सुरक्षित आवागमन तथा रोजी-रोटी को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की जगह न्यायपालिका, रथयात्रा व मंदिरों के पट खोलने की अनुमति प्रदान कर रहा है। मतलब न्यायपालिका के लिए जनता के जीवन से ज़्यादा धार्मिक कर्मकांड महत्वपूर्ण है। कोरोना की समस्या से निपटने में में नाकाम इस नाकारा व गैर ज़िम्मेदार कॉर्पोरेटपरस्त मोदी सरकार पर अंकुश डालने की जगह न्यायपालिका भी उसी की तर्ज पर चल रही है। ऐसे ढेरों उदाहरण हैं। जिनकी मूल ज़िम्मेदारी संविधान की रक्षा होनी चाहिए उस न्यायपालिका के समर्थन से तानाशाही राजसत्ता एक और कानून लाने जा रही है जिससे दलित, आदिवासी तथा अन्य पिछड़ा वर्ग का अधिकार समाप्त होने वाला है। मोदी सरकार आने वाले दिनों में SC/ST/OBC का जन्म प्रमाण पत्र जिस धारा 341 के तहत बनता है और आरक्षण मिलता है उसे हटाने जा रही है। कॉर्पोरेट ताकतों के दलाल फासीवादी आरएसएस व मोदी सरकार जिस निर्लज्ज तरीके से आपदा को अवसर बनाने के लिए उदारीकरण/निजीकरण/मनुवादीकरण का बुलडोज़र देश की जनता के सीने पर चला रही है, न्यायपालिका इस मामले में पूरी तरह मोदी सरकार की सहयोद्धा है। जाति उन्मूलन आंदोलन इस फासीवादी निज़ाम और उसके कॉर्पोरेट ब्राह्मणवादी बर्बर दमन के खिलाफ तमाम वंचित वर्गों, मेहनतकशों व आम जनता को एकजुट होकर प्रतिरोध करने का आह्वान करता है।

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