यहां नमक मिलता है

किरीट ठक्कर


गरियाबंद। जाड़े के दिन थे और रात का समय …. इन्ही पंक्तियों के साथ प्रारम्भ होती मुंशी प्रेमचंद की कथा ‘ नमक का दरोगा , हममें से अधिंकाश ने पढ़ी होगी । आजादी के पहले भारत में अंग्रेंजो ने नमक पर कानून बनाकर विचित्र स्थिति उत्पन्न कर दी थी। अंग्रेजो के इस काले कानून के विरुद्ध ही महात्मा गांधी ने दांडी तक की पैदल यात्रा की थी , जहाँ नमक का उत्पादन होता था।
वर्तमान समय में पिछले सप्ताह नगर में भी , नमक को लेकर विचित्र स्थिति उत्तपन्न हुयी और नमक हाथों- हाथ दो से तीन गुने अधिक मूल्य पर बिकने लगा , आलम ये था की शाम तक नगर की अनेक प्रमुख दुकानों में नमक का स्टॉक पूरी तरह खत्म हो चुका था। हालांकि जिले के प्रशासनिक अधिकारी और व्यवसायी संगठन के पदाधिकारी लगातार सचेत करते रहे कि ये सब अफवाह है। किंतु लोगों ने मिनटों में बाजार से नमक इस तरह गायब कर दिया जैसे मिस्टर इंडिया में अनिल कपूर गायब होते रहे।
वैसे जिले के ईमानदार नमक के दरोगाओं ने नमक को लेकर की जा रही कालाबाजारी पर छोटे दुकानदारों पर भरपूर कार्यवाही की , पर किसी पंडित आलोपीदीन तक इनके हाथ ना पहुँचने थे ना पहुंचे और ना पहुंचेंगे।
खैर …जैसा की उम्मीद थी आज बाजार में नमक भरपूर मात्रा में उपलब्ध है वो भी एमआरपी पर , छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स के जिला अध्यक्ष प्रकाश रोहरा के अनुसार अब नमक की कोई कमी नहीं है बाजार में नमक उपलब्ध है। नगर की अन्य व्यवसायिक संस्थाओ में भी नमक मिल रहा है।

किरीट ठक्कर

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