हत्यारे जब कविता लिखते हैं !

हत्यारे जब कविता लिखते हैं !

हमारे समय के अँधेरे में

हत्यारों, दंगाइयों, बर्बरों और फासिस्टों के

गिरोहों के सरगना मनुष्यता के भविष्य के बारे में

गहरी चिन्ता प्रकट करते हैं,

बच्चों को प्यार करते हुए

तस्वीरें खिंचवाते हैं,

पर्यावरण के विनाश को रोकने के लिए

अविलम्ब कदम उठाने की अपीलें जारी करते हैं I

वे सितार बजाते हैं

और चित्र बनाते हैं

और कविताएँ लिखते हैं

और इसतरह सभी कलाओं को

और मानवीय मूल्यों को लोगों की नज़र में

संदिग्ध बनाने की कोशिशें करते हैं !

इसतरह वे अत्याचार को प्रकारांतर से

मानवीय और कलात्मक सिद्ध करने की और

सहज स्वीकार्य बनाने की कोशिश करते हैं !

कविता और सभी कलाओं को लोगों की नज़रों में संदिग्ध बनाना

अत्याचार और आतंक के तंत्र को

और अधिक शक्तिशाली बनाने का

एक उपक्रम होता है I

जो कवि और कलाकार अपनी कला के साथ

हत्यारों के दरबार में हाज़िरी बजाते हैं

और उनके सफ़ेद दस्ताने चढ़े खूनी हाथों से

पुरस्कार और सम्मान लेते हैं,

कविता और कला को हत्या की क्रिया के निकट लाने में

और हत्या और बर्बरता को कला सिद्ध करने में

वे भी सहभागी होते हैं I

कविता कृष्णपल्लवी

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