बिहार में मरने वाले बच्चे गरीब, फिर क्यों नहीं काम आ रही आयुष्मान योजना

हर साल रोग एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम जैसा कोई रोग तेज तापमान और आर्द्रता के बीच सर उठाता है, बच्चे मरते हैं, हंगामा होता है, सभी राहत की उम्मीद बंधाते हैं और अंत में बारिश के साथ ही यह रोग चला जाता है…

वरिष्ठ लेखक महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

हमारे देश में एक योजना की चर्चा बार-बार प्रधानमंत्री अपनी सफलता को बताने के लिए करते हैं, वह योजना है आयुष्मान भारत योजना। मीडिया में भी इसे इस तरह प्रचारित किया, मानो अब स्वास्थ्य से सम्बंधित सारी समस्याओं का अंत हो गया। इसे दुनिया में इस तरह की सबसे बड़ी योजना भी बताया गया, पर तथ्य तो यह है कि जितने बच्चे अपने देश में बीमारियों से मरते हैं उतने कहीं और नहीं मरते।

अभी बिहार में मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से तकरीबन 100 बच्चे मर चुके हैं। इनमें से अधिकतर की उम्र 1 से 10 वर्ष के बीच थी। इसके बावजूद इस रोग से राहत की उम्मीद स्वास्थ्य व्यवस्था से नहीं बल्कि केवल बारिश से है। हरेक वर्ष यह रोग तेज तापमान और आर्द्रता के बीच सर उठाता है, बच्चे मरते हैं, कुछ हंगामा होता है, सभी राहत की उम्मीद बंधाते हैं और अंत में बारिश के साथ ही यह रोग चला जाता है।

वर्ष 1995 से ऐसा ही हो रहा है, सरकारें बदल जाती हैं पर कोई भी सरकार समय-पूर्व इसके नियंत्रण के लिए कोई कदम नहीं उठाती। वर्ष 2014 में तो इस रोग से 150 से अधिक बच्चों की जान गयी थी।

साभारः – जनज्वार.कॉम

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