इस चुनाव में पत्रकारिता हार गई

आवेश तिवारी

भाजपा जीते या कांग्रेस लेकिन इस चुनाव में जर्नलिज्म हार गया। इतना बेबस मैं कभी नही रहा जितना इस बार हूं। आप न समझेंगे लेकिन सच मानिए हम खबरनवीसों के लिए यह सामूहिक विलाप करने का वक्त है। कुछ साल पहले दिल्ली में था तो भाजपा कांग्रेस के बड़े नेता जहां बैठते थे पत्रकारों के झुंड वहां बैठ जाते थे। फिर जाना कि अरुण जेटली, शाहनवाज, बी के हरिप्रसाद, राज बब्बर सबके अपने अपने पत्रकार हैं । यह लोग केवल अपने लोगों से ही बात करते हैं।

फिर जब भाजपा सरकार आई धीमे धीमे कांग्रेस के नेताओं के खबरनवीस भी बीजेपी के नेताओं के घर दिखने लगे। केवल खुद दिखते तो बात थी उन्हें पता था कि उनके पास ताकत है जनता को वही पढ़ना होगा जो वो पढ़ाएंगे जनता वही देखेगी जो आप दिखाएंगे और इन्होंने जो मोदी ने चाहा सो दिखाया सो बोला सो कहा । इन्होंने आईएसआईएस की तरह देश मे सामूहिक ब्रेनवाश का काम शुरू कर दिया ।

दीपक चौरसिया को मैं उस वक्त से जानता था जब वो पसीने से भीगी कमीज में खाड़ी युद्ध की कवरेज करने अरब गया था फिर उसे पसीने की महक नाकाबिले बर्दाश्त हो गई। मेरे आफिस से कुछ दूर आप की रैली में हजारों लोगों के बीच घिरी अंजना ओम कश्यप जिसके बारे में कहा जाता था कि वो आप से चुनाव लड़ेगी अचानक महाभक्त हो गई । श्वेता सिंह की एक तस्वीर थी पटना के गांधी मैदान के बाहर रिक्शे वाले से बात करती हुई लग रहा था न जाने कितने दिन से जागी है। उसका वो सवाल ही तो याद रहा जो उसने रिक्शे वाले से पूछा “आज क्या खाया?” सब भक्त बन गए या भगवान। थोड़ा ठहर जाते। मैं दुखी हूं मर्माहत हूँ और पत्रकारिता की इस अकाल मौत पर सिर झुकाए खड़ा हूँ।

आवेश तिवारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!