बस्तर का सच छिपाना चाहती है पुलिस

रायपुर। बस्तर में ऐसा क्या है जिसे पुलिस छिपाना चाहती है। यह सवाल जेएनयू और डीयू के प्रोफेसरों के दौरे के बाद उठे विवाद के बीच एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल, इससे पहले भी बस्तर में काम कर रहे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, वकीलों आदि पर पुलिस की नाराजगी सामने आती रही है। आरोप है कि पुलिस ऐसे सभी लोगों को बस्तर से बाहर रखना चाहती है, जो असलियत जानते हैं और उसे दुनिया के सामने ला सकते हैं। हालांकि पुलिस अब भी यही कह रही है कि किसी को बस्तर जाने से रोका नहीं जाएगा।

बुधवार को दिल्ली से आए तीन प्रोफसरों जूएनयू की अर्चना प्रसाद, डीयू की नंदिनी सुंदर, जोशी शोध संस्थान के विनीत तिवारी व सीपीएम नेता संजय पराते के खिलाफ दरभा थाने में ग्रामीणों के हवाले से शिकायत की गई थी कि उन्होंने गांव में बैठक लेकर नक्सलियों के पक्ष में चर्चा की। मामले में जांच चल रही है और अब तक एफआईआर नहीं हुई है। लेकिन इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। प्रोफेसरों ने बस्तर की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट शेयर की है, तो दूसरी ओर उनके खिलाफ भी मुहिम लगातार चलाई जा रही है। सोशल मीडिया में सवाल उठाए जा रहे कि प्रोफेसरों को बस्तर से क्या लेना देना, उनसे उनका विश्वविद्यालय तो सम्हलता नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!