देश के बहुचर्चित आदिवासियों के सामूहिक बलात्कार मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस

देश के बहुचर्चित आदिवासियों के सामूहिक बलात्कार मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को उच्च न्यायालय ने नोटिस दिया है | छत्तीसगढ़ सरकार के सुरक्षा बलों द्वारा अक्टूबर 2015 में बीजापुर जिले के पेदागेल्लुर और चिन्नागेल्लुर में सामूहिक बलात्कार, अनाचार, प्रताड़ना और लूटपाट के कूल 28 पीड़ितों द्वारा उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका प्रस्तुत की गई है | जिसके अनुसार नवम्बर 2015 में बासागुड़ा पुलिस थाने में अपराध क्रमांक 22/2015 पंजीबद्ध हुआ था | पुलिस ने उक्त प्रकरण की विवेचना में देरी की है | एक साल से अधिक समय बीतने के बाद भी अब तक पुलिस ने अपराधी सुरक्षा बल के जवानों की पहचान नहीं की है | इस घटना की जाँच राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने की थी | जिसमें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने यह निष्कर्ष दिया था कि पुलिस ने अन्वेषण में काफी लापरवाही बरती है | इस प्रकरण में अनुसूचित जाति जनजाति कानूनों के प्रावधान भी नहीं जोड़े गए हैं | इस घटना के बारे में जब राष्ट्रीय स्तर पर समाचार प्रकाशित हुआ | तब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार के सुरक्षा बालों द्वारा किये गये बलात्कार के इस घिनौने मामले में स्वतः संज्ञान लिया था | इस मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने 06 जनवरी 2016 को अंतरिम आदेश पारित किया | जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार को कारण बताओ (शो-काज) नोटिस जारी किया गया है | राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने पीड़ितों को मुआवजा देने को भी कहा है | राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने अपनी टीम भेजकर पीड़ितों के बयान भी दर्ज किये जिसमें प्रथम दृष्टया आरोप सत्य पाया है | इन सभी बातों को लेकर याचिका में यह प्रार्थना की गई है कि मामले की विवेचना छत्तीसगढ़ पुलिस की जगह स्पेशल टीम करे | जिसमें छत्तीसगढ़ को छोड़कर दुसरे प्रदेश के वरिष्ट पुलिस अधिकारी हों | जिसे माननीय उच्च न्यायालय मानिटर करे | इस याचिका में पीड़ितों को मुआवजा एवं अंतरिम मुआवजा देने की प्रार्थना की गई है | इस याचिका की सुनवाई बुधवार 08 फरवरी को हुई है | जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने एडमिशन एवं अंतरिम आवेदन पर छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी किया गया है |

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